अजमेर. अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में धार्मिक मेले का आगाज (Spiritual Walk in Pushkar) आध्यात्मिक पदयात्रा से शुरू होता है. कार्तिक शुक्ल की एकादशी से पूर्णिमा तक धार्मिक मेले का पुष्कर में आयोजन होता है. एकादशी पर निकाली गई आध्यात्मिक पदयात्रा में साधु-संत, विभिन्न मंदिरों के महंत, गणमान्य लोग, लोक कलाकार, विभिन्न सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता और श्रद्धालुओं ने भाग लिया.
तीर्थराज पुष्कर में धार्मिक मेला शुक्रवार को एकादशी से शुरू हुआ है. वर्षों से एकादशी पर आध्यात्मिक पदयात्रा निकालने की परंपरा रही है. गाजे-बाजे और ढोल-नगाड़ों के साथ यात्रा का शुभारंभ (Interesting Sights in Pushkar Mela) गायत्री विद्यापीठ से शुरू हुई. आध्यात्मिक यात्रा को नगर पालिका चेयरमैन कमल पाठक ने हरी झंडी दिखाई. वहीं, मंत्रोच्चारण के साथ आध्यात्मिक यात्रा का शुभारंभ हुआ. यात्रा में कई विदेशी सैलानी भी शामिल रहे.
दरअसल, इस बार आध्यात्मिक यात्रा में स्थानीय लोक कलाकारों को भी शामिल किया गया. स्थानीय लोक कलाकारों ने अध्यात्म यात्रा के पूरे मार्ग में अपनी कला का प्रदर्शन किया जो देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण रहा. आध्यात्मिक यात्रा में जहां संतों की टोलियां हरि भजन करते हुए आगे बढ़ रही थीं. वहीं, पुष्कर राज के जयकारे लगाते हुए गणमान्य लोग भी श्रद्धालुओं के साथ आध्यात्मिक यात्रा में बढ़ते जा रहे थे. आध्यात्मिक यात्रा का जगह-जगह फूलवर्षा के साथ स्वागत किया गया. आध्यात्मिक यात्रा में आकर्षक झांकियों ने मन मोहा, वहीं नाचते-गाते लोक कलाकारों ने भी समा बांधा. आध्यात्मिक यात्रा में हर आयु वर्ग के लोग शामिल थे. यह यात्रा प्रमुख बाजारों में से होती हुई ब्रह्मा मंदिर के सामने से होकर कपालेश्वर महादेव और फिर मेला मैदान पर संपन्न हुई.
आध्यात्मिक यात्रा में शामिल संतों का किया गया सम्मान : आध्यात्मिक यात्रा में दूरदराज से आए संतों का कई लोगों की ओर से सम्मान किया गया. कई भामाशाह ने आध्यात्मिक यात्रा में शामिल संतों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. बता दें कि एकादशी से पूर्णिमा तक पुष्कर में महास्नान का विशेष महत्व है. यही वजह है कि देश के कोने-कोने से संतों का जमावड़ा भी पुष्कर में लगा हुआ है. सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर ने बताया कि पुष्कर में एकादशी पर आध्यात्मिक यात्रा निकालने की कोशिश पुरानी परंपरा है.
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आध्यात्मिक यात्रा में बड़ी संख्या में स्थानीय एवं श्रद्धालुओं के अलावा बड़ी संख्या में विभिन्न समाजों के लोग और संत शामिल हुए. आध्यात्मिक यात्रा निकलने का मतलब धार्मिक मेले का आगाज है. पूर्णिमा तक पवित्र सरोवर में श्रद्धालुओं और संतों का महा स्नान का सिलसिला जारी रहेगा. आध्यात्मिक यात्रा का आयोजन देवस्थान विभाग की ओर से किया गया. आध्यात्मिक यात्रा में स्थानीय प्रशासन के अलावा विधायक सुरेश सिंह रावत भी शामिल हुए.